DHANTERAS KYO MANATE HAI : धन तेरस दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाने वाला त्यौहार है. धनतेरस से दीपावली के पांच दिनों के त्यौहार की शुरुआत होती है, जिसमे धन तेरस के दिन स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए पूजा की जाती है. इस दिन घर के बाहर दीप दान किया जाता है जिससे अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है. धन तेरस के दिन भगवन धन्वंतरी समुद्र मंथन से अवतरित हुए थे. आइये जानते है धनतेरस से जुड़े तथ्यों को जानते है :

धन तेरस क्यों मानते है :
दीपावली त्यौहार से दो दिन पहले धन तेरस मनाई जाती है. इस दिन धन्वंतरी देवता की पूजा की जाती है और धन तथा स्वास्थ्य की कामना की जाती है. शास्त्रों की मान्यता अनुसार भगवान धन्वंतरी धन तेरस के दिन ही समुन्द्र मंथन से अमृत कलश के साथ अवतरित हुए थे. यही धन्वंतरी देवता स्वास्थ्य, धन, और आयु के देवता थे. धन्वंतरी देवता को देवताओं का चिकित्सक के रूप में जाना जाता है.
धनतेरस की पूजा :
धनतेरस को भगवान धन्वंतरी की पूजा की जाती है. शास्त्रों में धन्वंतरी को चंद्रमा के समान मन गया है इसलिए इनकी पूजा से मानसिक शांति, संतोष और स्वभाव चद्रमा के समान सौम्य होता है. इस दिन उन लोगो को अवश्य पूजा करनी चाहिए जिनका स्वास्थ्य में कमी बनी रहती है और सही नहीं रहता.
धन तेरस पर दीपदान :
DHANTERAS KYO MANATE HAI : धन तेरस के दिन एक अति महत्वपूर्ण कार्य किया जाता है जो की यम के निमित्त क्या जाने वाला दीपदान है. वास्तु विशेषज्ञ महेश सारस्वत ने इस

संदर्भ में जानकारी दी की धर्म शास्त्रों में वर्णित है की कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को प्रदोष काल में संध्या समय घर के बाहर ‘यम के निमित्त’ दीपदान करने से सभी सदस्यों के लिए अकाल मृत्यु का भय दूर होता है. वास्तु विशेषज्ञ महेश सारस्वत ने आगे जानकारी देते हुए बताया की इसके लिए एक मिटटी का दिपक, और दो लम्बी बत्तियाँ ले जो दीपक के दुसरे छोर से भी बहार आ जाये यानी दीपक के बाहर चार बत्तियाँ हो जाएगी. इस दीपक में तेल, काले तिल डाल ले. घर में इसकी पूजा करे और इसके घर के बाहर थोड़े से चावल पर रख कर दक्षिण दिशा की तरफ यमदेव को नमस्कार करे और यमदेव की प्रार्थना करे.
धनतेरस के दिन रात्रि में चांदी के सामान की खरीददारी की जाती है, ऐसी मान्यता है की इस दिन चांदी का सामान खरीदने से साल भर आर्थिक उन्नति होती है. आज के दिन लोग गणेशजी व लक्ष्मी जी के सिक्के विशेष रूप से खरीदते है जो की साल भर आर्थिक उन्नति के लिए श्रेष्ठ माने जाते है.
धनतेरस पर दीपदान क्यों ?
सनातन धर्म में हर पर्व त्यौहार के साथ कोई न कोई उद्देश्य अवश्य होता है इसी तरह धनतेरस के दिन दीपदान का भी महत्त्व है और ये जानकारी भी बहुत कम लोगो को होती है. साल में एक बार धन तेरस के दिन यम देवता के निमित्त किये जाने वाले दीपदान से अपमृत्यु का भय नहीं रहता और शुभता मिलती है. इस दीपक को दक्षिण दिशा की तरफ जलाना चाहिए.
धनतेरस की पौराणिक कथा:
DHANTERAS KYO MANATE HAI : धनतेरस की वैसे कई कथाये प्रचलित है जो अलग अलग स्थानों के अनुसार बदलती रहती है पर सभी का उद्देश्य दीपदान से ही है. इसी सन्दर्भ में एक पौराणिक कथा ये है :
पुराने समय में एक राजा थे जिनका नाम था हिम. एक बार राजा के पुत्र जन्म हुआ. रजा के साथ प्रजा भी बहुत खुश थी. समय आने पर रजा हिम ने अपने पुत्र की जन्म कुंडली बनाने के लिए मुख्य ज्योतिष से आग्रह किया.
प्रमुख ज्योतिष ने कुंडली बनाने के बाद चिंतित होकर राजा से कहा की राजकुमार की मृत्यु शादी के चार दिन बाद सर्प दंश के कारण हो जाएगी. इससे राजा चिंतित रहने लगे. समय आने पर राजकुमार की शादी एक राजकुमारी से कर दी गई. राजकुमार की पत्नी बहुत समझदार और सुशील थी, साथ ही वह माँ लक्ष्मी की परम भक्त थी. राजकुमार के सर्प दंश की बात राजकुमारी से बता दी गई थी.
राजकुमार की पत्नी बहुत दृढ निश्चय वाली थी और उसने निर्णय किया की वो उस भविष्यवाणी का सामना करेगी. निश्चित दिन आने पर उसने पुरे इंतजाम किये और राजकुमार में कक्ष तक आने वाले सभी रास्तो को पूरा रोशनी से जगमगा दिया और कहीं भी अँधेरा नहीं रखा गया. सांप के आने के हर रास्ते में वहां हीरे जवाहरात, सोने चांदी के सिक्के बिछा दिए गये. इसके बाद राजकुमार सो ना जाए इसलिए राजकुमारी ने उसे कहानियां इत्यादि सुनाने लगी.
निश्चित समय पर यम दूत सांप का रूप धर कर राजकुमार के कक्ष में प्रवेश कर जाते है परन्तु वहां अत्यधिक रोशनी होने से सांप के रूप अँधेरा रास्ता तलाशने लगे लेकिन चारो तरह पुरी रोशनी और हीरे जवाहरात होने से सांप रूप में यमदूत डसने के मौका देखने लगे और राजकुमारी की कहानी व गीत सुनने लगे. लेकिन सूर्य भगवन के उदय होने से राजकुमार का मृत्यु समय टल गया और यम दूत वापस चले गये.
इसलिए इस धनतेरस के दिन घटी घटना के बाद से यम को दीपदान किया जाने लगा जिससे असमय यम दूत के प्रवेश ना हो सके यानी अकाल मृत्यु रोकी जा सके.

भगवान विष्णु का धन्वंतरी रूप में अवतार :
वेदों और कथाओं में वर्णन के अनुसार देवताओ और राक्षसों के बिच समुद्र मंथन हुआ था और इस समुद्र मंथन से समृद्धि के कारक चीजे प्राप्त हुई थी. इनमे सबसे बहुमूल्य अमृत कलश था जिसे लेकर धन्वंतरी निकले और धन्वंतरी में भगवान बिष्णु का भी अंश मौजूद था. इसलिए धन तेरस के दिन बिष्णु भगवान की धन्वंतरी के रूप में पूजा की जाती है.
धनतेरस और धन समृद्धि:
DHANTERAS KYO MANATE HAI : चूँकि भगवान् धन्वंतरी कलश के साथ अवतरित हुए थे, यह कलश अमृत से भरा हुआ था और समृद्धि का कारक था इसलिए धन तेरस को स्वास्थ्य और धन समृद्धि का कारक माना जाता है. धन्वंतरी को चंद्रमा का कारक मन गया है इसलिए आज के दिन चांदी से बने सामान, और गहने यथासंभव अवश्य ख़रीदे. चांदी के सिक्के जिन पर गणेश जी लक्ष्मी जी बने हुए हो उन्हें विशेष रूप से ख़रीदा जाता है जिससे साल भर समृद्धि बनी रहती है.
धनतेरस के मुख्य मन्त्र :
ॐ अमृतवपुषे नम:, 2. ॐ सौम्याय चन्द्रमसे नम:, 3. ॐ धर्मध्वजाय नम
निष्तोकर्ष : सनातन धर्म में हर त्यौहार के पीछे कोई न कोई मान्यता अवश्य होती है जो किसी ना किसी हित से जुडी होती है . DHANTERAS KYO MANATE HAI ये लेख में हमने बताया की सुख समृद्धि के लिए इस त्यौहार को मनाया जाता है.