AMAZING BENEFIT OF VASTU SHASTRA IN MODERN LIFE | वास्तु शास्त्र क्या है ? वास्तु शास्त्र का उपयोग | जाने वास्तु शास्त्र के बारे में

Benefit of Vastu Shastra : धरती पर रहने वाले हर इंसान की इच्छा होती है वह अपने परिवार के लिए हर प्रकार की सुख सुविधा से युक्त घर का निर्माण कराये. लेकिन बहुत कम लोगो को इस बात की जानकारी होती है की घर का निर्माण किस तरह और शास्त्र अनुरूप कराया जाये की वह घर फलदायक और परिवार के लिए शुभ हो. प्राचीन काल से हमारे शास्त्रों में ‘वास्तु विद्या’ का उल्लेख रहा है जिसमे रहने के स्थान को कैसे अनुकूल और शुभ फलदायक बनाया जाए इसका वर्णन है. यह वास्तु विद्या पूर्णत: वैज्ञानिक आधार पर बनी है जिसमे घर में निश्चित दिशाओ में निश्चित कार्य कर के लिए वर्णन किया हुआ है. वास्तु अनुरूप स्थान फलदायी साबित होता है. तो आज हम वास्तु विशेषज्ञ महेश सारस्वत के सहयोग से Viral News Club के आज के इस संकलित लेख में वास्तु शास्त्र की प्रमुख जानकारियाँ देंगे.

Mahesh Saraswat Vastu Expert
                                                                                                    Amazing benefit of Vastu Shastra

Table of Contents

वास्तु शास्त्र क्या है ?

Benefit of Vastu Shastra : प्राचीन काल में हमारे ऋषि मुनियों ने मनुष्यों की आवास व्यवस्था और उद्योग व्यवसाय व्यवस्था के विषय में धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ अनेकानेक महत्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए थे, घर और व्यवसाय को इन दिए गये निर्देशों के मुताबिक रखने को ही सरल रूप से  “वास्तु शास्त्र” कहा जा सकता है.

वास्तु शब्द ‘वस्तु’ से बना हुआ है. वस्तु शब्द से सम्बंधित शास्त्र ही ‘वास्तु शास्त्र’ कहलाता है. मुख्य रूप से ये समझे की वास्तु शब्द की उत्पति ‘वास’ से हुई है यानी जहाँ हम वास करते है, वो घर भी हो सकता है, व्यवसाय की जगह भी हो सकती है. ऐसे स्थान को अपने रहने के अनुसार कैसे बनाये की वह उपयोगी व फलदायी हो, इसका विवरण ‘वास्तु शास्त्र’ में लिखा है. वास्तु शास्त्र प्रकृति के साथ मेल करके प्रकृति में व्याप्त उर्जा का सही लाभ उठाने का एक माध्यम है.

वास्तु शास्त्र के पौराणिक ग्रन्थ :

Benefit of Vastu Shastra : वास्तु शास्त्र का उल्लेख पौराणिक काल से होता आया है. सनातन धर्म के प्रमुख पुराणों में इसकी जानकारी मिलती है. वेदों में इसका विवरण पढने को मिलता है. ऋग्वेद तथा अथर्ववेद में वास्तु शास्त्र की जानकारी पढने को मिलती है. पुराणों में मत्स्य पुराण, स्कन्द पुराण, गरुड़ पुराण, वायु पुराण, नारद पुराण, अग्नि पुराण में भी वास्तु का उल्लेख किया हुआ है. इसके अलावा वैदिक साहित्यों में, रामायण, महाभारत, जैन और बौद्ध ग्रंथो में, बृहतसंहिता इत्यादि अनेकानेक ग्रंथो में वास्तु के विश्लेषण पढने को प्राप्त होता है, जिनमे वास्तु अनुरूप भवन की महत्ता बताई गई है.

Benefit of Vastu Shastra
वास्तु शास्त्र के पौराणिक ग्रन्थ

वास्तु शास्त्र का उपयोग कब होता है ? (Benefit of Vastu Shastra )

जैसा की महेश सारस्वत ने हमें बताया की वास्तु शास्त्र का उपयोग जब आप घर अथवा व्यवसाय हेतु जमीन खरीदते है, तभी से शुरू हो जाता है. इसके अलावा अगर आप घर अथवा व्यवसाय उपयोग के लिए बना बनाया घर अथवा परिसर खरीदते है तो भी वास्तु अनुसार उसकी जांच करके उस परिसर की अथवा जमीन (प्लाट) की अनुकूलता या प्रतिकूलता जाँच सकते है.

वास्तु का उपयोग किराये के मकान में लागू होता है ?

किसी भी घर की बनावट का उस घर में रहने वाले पर सीधा असर होता है, चाहे आप किराये पर ही क्यों ना रह रहे हो. उसी तरह वास्तु का किराये की दुकान अथवा परिसर पर भी पूर्ण प्रभाव होता है. वास्तु सम्मत दूकान अथवा ऑफिस व्यवसाय को बहुत फलदायी साबित होती है.

वास्तु के अनुसार नहीं बने आवास का उपाय :

वास्तु के अनुसार हर आवास बना हो ये जरुरी नहीं होता. कई बार या ज्यादातर बिना जानकारी के बनाये मकान, आवास, या व्यवसायिक परिसर नुकसान देने लगते है, ऐसे में वास्तु जानकार से सलाह लेकर उसका उचित निराकरण किया जा सकता है.

वास्तु क्या फ्लैट अथवा सोसाइटी में भी प्रभावी होता है ?

आप जहाँ भी रह रहे हो उस जगह का वास्तु प्रभाव आप पर रहता है. बहुमंजिला इमारतो में बने फ्लैट्स में जिस फ्लैट में आप रहते है उसी का प्रभाव पड़ता है. आस पास में बने किसी अन्य फ्लैट का कोई प्रभाव नहीं होता.

Benefit of Vastu Shastra
Benefit of Vastu Shastra Happy Family

वास्तु अनुसार प्लाट :

Benefit of Vastu Shastra : प्लाट खरीदने से पहले उसकी जांच वास्तु विशेषज्ञ से करवा ले जिससे की यह जांच हो सके की प्लाट फलदायी है की नहीं उसपर बनने वाला मकान कैसे और किस तरह बन सकेगा. इसका पूर्ण विचार वास्तु विशेषज्ञ ही कर सकता है. प्लाट की ढलान, प्लाट की मिट्टी इन सब की जांच करके ही इसका पता लगाया जाता है. वास्तु विशेषज्ञ महेश सारस्वत ने बताया की कई बार ऐसे प्लाट जो अनुरूप नहीं होते है उनकी वास्तु अनुसार सरल उपाय करके उनकी प्रतिकूलता दूर करी जा सकती है.

मकान बनने से पहले वास्तु पूजा : (Vastu Puja Before Construction)

भूमि खरीदने के बाद घर का निर्माण शुरू किया जाता है. घर के निर्माण से पहले सभी भूमि पूजन करते है, इस भूमि पूजन को ही वास्तु पूजा कहा जाता है जिसमे निर्माण से पहले अगर कोई भूमि दोष हो भी तो वो दूर कर दिया जाता है तथा कुछ जरुरी उपाय जो बनने वाले मकान के लिए फलदायी हो वो कर दिए जाते है.

आवास बनने से पहले वास्तु अनुसार नक्शा :

रहने के लिए मकान हो अथवा आवासीय परिसर, निर्माण से पहले उसकी पुरी तरह से प्लानिंग जरुरी होती है, इस प्लानिंग को ही मॉडर्न भाषा में नक्शा बनाना कहते है यानि वास्तु के उपयोग करके ना सिर्फ अपनी जगह का सही इस्तेमाल किया जा सकता है बल्कि उस जगह से ज्यादा से ज्यादा लाभ मिले ये भी हो सकता है. यानी वास्तु का उपयोग वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है. वास्तु अनुसार आवास का नक्शा बनाने से ये रसोई का स्थान, सोने का स्थान, शौचालय की जगह, पढने की जगह इत्यादि तय हो जाती है.

आवास में कुछ प्रमुख जगहों के स्थान : (Place according to Vastu)

वास्तु के अनुसार पूर्ण आवास बनाने के लिए किसी वास्तु विशेषज्ञ से सलाह लेना उचित होता है. यहाँ हम कुछ जरुरी स्थानों का विवरण आपकी जानकारी के लिए दे रहे है:

Benefit of Vastu Shastra
Benefit of Vastu Shastra: VASTU PLACEMENT

मंदिर का स्थान वास्तु अनुसार : (Mandir placement according to vastu)

मंदिर के लिए उत्तर पूर्व दिशा यानी ईशान कोण का स्थान सबसे उत्तम माना जाता है, यहाँ इस जगह मंदिर बनाने से देवताओ की कृपा से दृष्टि बनी रहती है. इस दिशा के अलावा पूर्व और उत्तर दिशा भी अच्छी मानी गयी है.

वास्तु अनुसार रसोई का स्थान: (Kitchen according to Vastu)

रसोई के हमेशा दक्षिण पूर्व कोण यानी आग्नेय कोण में बनाये तो सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है. इसके अलावा भी पूर्व दिशा में रसोई का निर्माण किया जा सकता है.

वास्तु अनुसार सोने का स्थान: (according to vastu placement of bedroom)

सोने के लिए घर के दक्षिण, पश्चिम, दक्षिण पश्चिम में कमरा बनाये तो अच्छा माना जाता है.

शौचालय का वास्तु अनुसार स्थान: ( Toilet according to vastu)

शौचालय के लिए दक्षिण से दक्षिण पश्चिम की तरफ का स्थान सही होता है.

ड्राइंग रूम वास्तु अनुसार : (Drawing room according to vastu)

ड्राइंग रूम के लिए वायव्य कोण को सबसे श्रेष्ठ बताया गया है.

वास्तु शास्त्र की ध्यान में रखने योग्य बाते : (Some Thumb rules of Vastu)

Benefit of Vastu Shastra : वास्तु शास्त्र में कुछ सरल ध्यान में रखने योग्य बाते बताई गई है जिसमे से यहाँ हम कुछ बाते आपकी जानकारी के लिए दे रहे है :

  • मुख्य द्वार पर मांगलिक चिन्ह अवश्य लगाये जैसे स्वस्तिक, ॐ.
  • सोते समय सिरहाना दक्षिण दिशा में करे.
  • घर में श्री यंत्र जरुर रखे, व्यवसायिक परिसर में तो अवश्य रखना चाहिए.
  • बेसमेंट हो सके तो ना ही बनाये, जरुरत हो तो उत्तर और पूर्व में बनाये.
  • घर में कभी कांटेदार पौधे ना लगाये, ना ही कभी बड़े वृक्ष लगाये.
  • घर में भरी सामान दक्षिण दिशा में रखे.
  • घर में कभी नशीले पदार्थो का सेवन ने करे खासकर अपने सोने के स्थान में
  • पूजा घर में रोज शुद्ध घी का दीपक अवश्य जलाये
  • घर बनाते समय काले रंग का प्रयोग ना करे.
  • खूंटी कम से कम या ना लगाये.
  • घर के दरवाजो को बंद करते समय कभी आवाज ना आये.

निष्कर्ष: इस तरह हमने वास्तु शास्त्र के सम्बन्ध में जाना की वास्तु शास्त्र के उपयोग करके हम रहने के स्थान को सुखमय और फलदायी बना सकते है.

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FAQ of Benefit of Vastu Shastra : 

Que.: प्लाट खरीदने से पहले क्या वास्तु एक्सपर्ट से सलाह लेनी चाहिए 

Ans: जी हाँ ! और ये लाभदायी होता है

Que.: मकान का नक्शा बनाकर क्या वास्तु विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए 

Ans: नहीं. नक्शा बनने से पहले वास्तु विशेषज्ञ से विचार विमर्श करना चाहिए.

Que.: कुछ प्रमुख वास्तु विशेषज्ञ के नाम ?

Ans:  वैसे तो वास्तु विशेषज्ञ बहुत सारे है. प्रमुख नाम में श्री आनंद भारद्वाज, नरेश कुमार जी , जसकरण जी , श्री महेश सारस्वत, पवन जी कौशिक है.

Que.: वास्तु अनुसार क्या सभी स्थानों को सही रखना आवश्यक है ?

Ans: जी हाँ ! इससे फायदा ही होता है.

Que.: वास्तु पूजा कब करनी चाहिए? 

Ans: किसी योग्य पंडित से मकान बनने से पहले भूमि पूजन और गृह प्रवेश से पहले वास्तु पूजा अवश्य करनी चाहिए.

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