SHRIMAD BHAGWAT MAHAPURAN | श्रीमद् भागवत पुराण के अद्भुत 12 स्कन्ध की जानकारी | सम्पूर्ण 12 स्कन्ध की जानकारी

Shrimad Bhagwat Mahapuran : श्रीमद् भागवत पुराण सबसे महत्त्वपूर्ण महापुराण मन जाता है। श्रीमद् भागवत में 12 स्कन्ध और 335 अध्याय है। श्री वेदव्यास जी द्वारा रचित इस महापुराण में 18 हजार श्लोक है। आइये आज जानते है श्रीमद् भागवत के 12 स्कन्ध के बारे में की इन स्कन्ध में किस प्रमुख कथा घटना का वर्णन किया गया है :

SHRIMAD BHAGWAT MAHAPURAN
SHRIMAD BHAGWAT MAHAPURAN

 

प्रथम स्कन्ध (Shrimad Bhagwat Mahapuran Pratham Skandh ):

श्रीमद् भागवत पुराण के प्रथम स्कंध के वक्ता शुकदेव जी है और श्रोता रूप में महाराज परिक्षित जी है। प्रथम स्कन्ध में भगवान विष्णु के सभी अवतार के बारे में बताया गया है। इस प्रथम स्कन्ध में युद्धिष्ठिर का पितामह भीष्म से कर्तव्य उपदेश श्रवण करना आत्मग्लानि मिटाना, भीष्म पितामह का देह त्याग, युद्धिष्ठिर का महाराज बनना, अश्वत्थामा का द्रोपदी के पांच पुत्रो को मारना, महाभारत युद्ध के बाद पांडवो का युद्ध में मरने वाले परिवार व आत्मीयजन को तर्पण करना, अर्जुन का युद्धिष्ठिर को यादवों के संहार और श्री कृष्ण के स्वधाम जाने का समाचार बताना इत्यादि का वर्णन मिलता है। जिसे सुन पढ़कर यही ज्ञान मिलता है की भक्ति ही एकमात्र मार्ग है जिससे मन को शांति मिलती है।

द्वितीय स्कन्ध (Shrimad Bhagwat Mahapuran Dvitiy Skandh ):

Shrimad Bhagwat Mahapuran के द्वितीय स्कन्ध में शुकदेव द्वारा परीक्षित जी को भगवान के ध्यान का तरीका बताना और उनके मोक्षदायी विराट रूप का उल्लेख, सृष्टि के विधान और कर्म बताना, परशुराम जी की कथा, चतुः श्लोकि भागवत का उपदेश इत्यादि वर्णित है।

तृतीय स्कंध (Shrimad Bhagwat Mahapuran Tritiy Skandh ):

Shrimad Bhagwat Mahapuran के तृतीय स्कंध में विदुर जी का घर त्याग कर तीर्थ के लिए जाने का वर्णन किया गया है। यमुना के तट पर उद्भव से भेंट, कृष्ण जी के गूढ़ रहस्य जानने के प्रयास  निर्विकार ब्रह्म के स्वरुप का कथन, सृष्टि का विस्तार वर्णन के अलावा हिरणकश्यपु और हिरण्याक्ष की कथा के अलावा अष्टांग योग इत्यादि के उल्लेख किया गया है।

चतुर्थ स्कन्ध (Shrimad Bhagwat Mahapuran Chaturth Skandh ):

Shrimad Bhagwat Mahapuran  के चतुर्थ स्कंध में वे चरित, राजा पथु की कहानी, रूद्र द्वारा भगवन नारायण ‘योगदेश’ नामक स्तोत्र का उपदेश, जिव तथा ईश्वर के स्वरुप का निदर्शन का वर्णन है। चतुर्थ स्कन्ध में देवहुति की कथा, दक्ष प्रजापति और शंकर जी की कथा का भी वर्णन है।

पंचम स्कन्ध (Shrimad Bhagwat Mahapuran Pancham Skandh ):

Shrimad Bhagwat Mahapuran के इस पंचम स्कन्ध में विदुर जी का हस्तिनापुर जाना का वर्णन है. उसके साथ प्रियव्रत की कथा, ऋषभदेव का चित्रण, जद्भारत का चित्रण, गंगा की उत्पति वर्णन मिलता है . इसी पंचम स्कन्ध में सभी ग्रहों की स्थिति का वर्णन, शाल्मली द्वीपों और का वर्णन और लोकालोक पर्वत का उल्लेख मिलता है . इसके अलावा अठाईस प्रकार के नरको और उसकी गति पाने वाले का पूरा वर्णन इस स्कन्ध में दिया गया है.

पष्ठम स्कन्ध (Shrimad Bhagwat Mahapuran Pastham Skandh ):

Shrimad Bhagwat Mahapuran के इस स्कन्ध में अजामिल की कथा बताई गयी है. प्रजा सृष्टि और स्वायम्भुव मन्वन्तर का वर्णन किया गया है . इस पंचम सक्नाध में के साथ भागवत धर्म की विवेचना की गई है . इन सभी उल्लेख के साथ देवराज इंद्र द्वारा विश्वरूप का वध, त्रासुर के ऋषि दाधीच के हड्डियों से बने बज्र से संहार की कथा सम्मिलित है. अदिति तथा दिति के संतानों और अन्य की उत्पति तथा पुंसवन की कथा है .

सप्तम स्कन्ध (Shrimad Bhagwat Mahapuran Spatam Skandh ):

Shrimad Bhagwat Mahapuran के सप्तम स्कंध में शिशुपाल के वध एवं हिरण्याक्ष की कथा बताई गई है. भक्त प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की कथा उल्लेख है। नारद जी द्वारा युद्धिष्ठिर को मानव धर्म, स्त्री धर्म और चारो वर्णों के धर्म की व्याख्या की गई है .

अष्टम स्कन्ध (Shrimad Bhagwat Mahapuran Ashtam Skandh ):

Shrimad Bhagwat Mahapuran के इस स्कन्ध में अन्य मन्वन्तरों की कथा वर्णित है . राजा और ग्राह की पूर्वजन्म की कथा के साथ समुन्द्र मंथन का उल्लेख है. समुन्द्र मंथन कथा में भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार की कथा और भगवान शिव का उस मोहिनी रूप पर मुग्ध होने और मुक्त होने की कथा है. इसके साथ ही इस स्कन्ध में सात मन्वन्तरो का उल्लेख, वामनावतार तथा मत्स्यावतार का वर्णन किया गया है .

नवम स्कन्ध (Shrimad Bhagwat Mahapuran Navam Skandh ):

Shrimad Bhagwat Mahapuran के इस स्कन्ध में वैवस्तमनु के वंश का वर्णन किया गया है, मनु के पुत्रो पांच वंशो की जानकारी भी इसी स्कन्ध में दी गई है. इसके साथ ही च्यवन ऋषि – सुकन्या की कथा, अम्बरीष और दुर्वासा की कथा, भगीरथ की कथा, त्रिशंकु की कथा, हरिश्चंद्र और सगर की कथा इसी स्कन्ध में पढने को प्राप्त होती है.  रामचरित सूर्यवंशी और चंद्रवंशी राजाओ, रजा पुरुरवा और विश्वमित्र का वर्णन भी दिया गया है.

दशम स्कन्ध (Shrimad Bhagwat Mahapuran Dasham Skandh ):

Shrimad Bhagwat Mahapuran के दशम स्कन्ध के दो भाग है पूर्वाध और उत्तरार्ध, और दोनों भागो में भगवान कृष्ण की अलौकिक लीलाओं का वर्णन दिया गया है.  पूर्वाध भाग में श्री कृष्ण के मथुरा में जन्म, कंस वध और मित्र उद्धव की ब्रज कथा पढने को मिलती है. जबकि उतरार्द्ध भाग में जरासंध की मथुरा में हार, श्री कृष्ण के द्वारिका नगरी का निर्माण, श्री कृष्ण विवाह जिसमे आठ पटरानियों और सोलह सहस्त्र एक सौ स्त्रियों से विवाह का वर्णन है.  कृष्णपुत्र प्रद्युमन द्वारा शम्बरासुर राक्षस का वध का उल्लेख इसी दशम स्कन्ध में है. इसके साथ ही भीम स्वर जरासंध का वध, श्री कृष्ण द्वारा शिशुपाल का वध, सुदामा चरित भस्मासुर की कथा, भृगु ऋषि का आख्यान जैसे विवरण दशम स्कन्ध में मिलेंगे.

एकादश स्कन्ध (Shrimad Bhagwat Mahapuran Ekadash Skandh ):

Shrimad Bhagwat Mahapuran के इस एकादश स्कन्ध में भागवत धर्म और भक्त के लक्षण, माया, कर्म बताये गये है जिसके साथ भक्तिहीन की गति और पूजाविधि का वर्णन दिया गया है. भगवान् श्री कृष्ण का परमधाम गमन, सत्संग महिमा, कर्मानुष्ठान कर्मत्याग का वर्णन, ज्ञानयोग, कर्मयोग,भक्तियोग, का उल्लेख और विवेचन का किया गया है. इसी स्कन्ध मे यादव कुल की समाप्ति का वर्णन हुआ है.

द्वादश स्कन्ध (Shrimad Bhagwat Mahapuran Dwadash Skandh ):

Shrimad Bhagwat Mahapuran : भगवान श्री कृष्ण के परमधाम प्रस्थान के बाद पृथ्वी के राजाओ का वंशावली वर्णन, बहद्रथ, नन्दिवर्धन, नन्द इत्यादि राजाओ का भविष्य में निर्माण, परीक्षित जी का देहांत, मार्केन्डय की कथा इत्यादि का उल्लेख श्रीमद् भागवत के इस अंतिम स्कन्ध में किया गया है. इस स्कन्ध में विभिन्न पुरानो की श्लोक संख्या और श्रीमद् भागवत के महत्व का वर्णन करके इस अलौकिक पुराण को विराम दिया गया है.

तो दोस्तों और भक्तों, आपने श्रीमद् भागवत के 12 स्कन्ध में क्या दिया गया है इसकी जानकारी प्राप्त करी. ये पुराण भगवत कृपा से ही सुनने अथवा पढने को मिलते है क्योंकि आज के वातावरण में न समय किसी के पास है और न ही इच्छा शक्ति की इनमे दिए गये अद्भुत और अलौकिक ज्ञान को पा सके. गीताप्रेस जैसी संस्था हरसंभव प्रयास करती है और हमें उनका ऋणी होना चाहिए कि सभी पुराण और ग्रन्थ जिन्हें आप पढना चाहे उनकी कठिन मेहनत से आज ‘गीताप्रेस’ में उपलब्ध है.

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