FASTING BENEFITS TYPES CARE | उपवास कैसे करे, उपवास कितने प्रकार का होता है, विकल्प, उपवास कैसे तोड़े

FASTING BENEFITS TYPES CARE : नवरात्रि त्यौहार इस समय पुरे भारत में मनाया जा रहा है। नवरात्रि की बात हो और उपवास की बात ना हो ऐसा संभव नहीं. नवरात्रि में माँ दुर्गा की पूजा उपासना की जाती है और काफी लोग उपवास करते है। उपवास भक्ति भाव से किया जाता है लेकिन इसके शारीरिक और मानसिक रूप से कई फ़ायदे है। सनातन धर्म में जो नियम बनाये गये उनके पीछे कोई ना कोई वैज्ञानिक कारण अवश्य होता है। हमने इसी पर विश्लेषण किया और viral news club  इस लेख में लेकर आये ‘उपवास’ सम्बंधित जानकारी जो निश्चित रूप से हमारे पाठको के लिए अति उपयोगी सिद्ध होगी।

FASTING BENEFITS TYPES CARE

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उपवास कब से शुरू हुआ:

FASTING BENEFITS TYPES CARE : उपवास कब से शुरू हुआ ये कहना तो मुश्किल है परन्तु प्राचीनकाल ऋषि मुनियों के समय से ही उपवास का पालन होता आ रहा है और आज ये सभी धर्मो में अपने अपने तरीके से पालन किया जा रहा है क्योंकि इसके बहुत से फायदे है या यूँ कहे की की उपवास अपने आप में एक ‘चिकित्सा’ है। और ये चिकित्सा, प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्रों पर अपनाई जाती है।

उपवास और धर्म का सम्बन्ध : (Fasting and Religion)

FASTING BENEFITS TYPES CARE : मूल रूप से उपवास एक ‘प्राकृतिक चिकित्सा’ है जिसे सभी धर्मो ने धर्म भावना से जोड़ रखा है और धर्म से जोड़ने के कारण इस उपवास को करना अनिवार्यता की श्रेणी में आ जाता है। अनिवार्यता की श्रेणी में आने से इस उपवास को करने के लिए लोग बाध्य होते है जो की परोक्ष रूप से उनके लिए हितकारी और बहुत फायदेमंद सिद्ध होता है।

उपवास का विकल्प : (FASTING BENEFITS TYPES CARE)

FASTING BENEFITS TYPES CARE : ऋषि मुनियों के समय से चली आ रही उपवास को हमारे बुजुर्गो ने उपवास के अलावा एक रूप और दे दिया या यूँ कहे की नित्य दिनचर्या के लिए के विकल्प दे दिया। उन्होंने इसका एक आसन तरीका निकाला और भोजन हेतु एक नियम बनाया की भोजन करते समय भरपेट भोजन ना करके 25 प्रतिशत खाली रखा जाए यानी भूख से थोडा कम खाया जाए इससे भोजन पचने में आसानी होती है और पाचन क्रिया में शरीर को अनावश्यक जोर भी नहीं लगाना पड़ता है, परन्तु ये पढने में आसान लगता है लेकिन सामान्य जीवन में बहुत कम लोग इस बात को अपनाते है।

उपवास में खान पान : 

उपवास में सात्विक खान पान ही किया जाता है किसी भी गरिष्ठ पदार्थ को लेने से मनाही होती है जिससे की हमारे शरीर की अच्छे से अंदुरनी सफाई हो सके। खान पान में सिर्फ सात्विक खान पान जैसे फल, सलाद, दूध लिया जाता है जो की सुपाच्य होते है। उपवास के दिन चाय कॉफ़ी का सेवन भी कम से कम कोय जाना चाहिए अन्यथा दस ट्रबल होने की सम्भावना होती है। फलो का रस, सब्जियों का सूप इत्यादि का सेवन ही लाभकारी होता है।

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उपवास कितने प्रकार का होता है: (Types of Fasting)

FASTING BENEFITS TYPES CARE : उपवास कई प्रकार के होते है जो की समय अवधी और आहार के अनुरूप बांटे गये है। इनमे से कुछ उपवास साधारण तरीके से किये जा सकते है जबकि कुछ उपवास में अनुभवी प्राकृतिक चिकित्सक से सलाह लेना जरुरी होता है:

प्रातःकालीन उपवास : इस प्रकार के उपवास में सुबह के नाश्ते का त्याग किया जाता है यानी सुबह के नाश्ते का उपवास। ध्यान रखने वाली बात है की दिन भर में भी सात्विक खान पान ही करना होता है।

सांयकालिन उपवास: ऐसा उपवास थोडा अस्वस्थ होने पर लाभप्रद सिद्ध होता है, दो वक्त में से एक वक्त हल्का सुपाच्य भोजन और दुसरे वक्त उपवास रखा जाता है।

एकाहरोपवास: एक समय में एक ही सुपाच्य चीज का सेवन किया जाता है, उदाहरण के तौर पर अगर एक समय दलीया खाया है तो शाम को हल्का पेय लिया जायेगा, ऐसा उपवास कुछ दिन तक किया जा सकता है जिससे पेट की सभी छोटी मोती समस्याएं मिट जाती है।

फल उपवास: जैसा की नाम से ही विदित है ये उपवास सिर्फ फल और सब्जियों का सेवन करके ही किया जाता है।

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उपवास के प्रकार

दुग्ध उपवास : फल उपवास में दिन में सिर्फ दूध लिया जाता है। ये दूध का देशी गाय का ही हो तो ज्यादा प्रभावी सिद्ध होता है। पाचन शक्ति कमजोर हो उन्हें ये उपवास करने की मनाही होती है।

मठोपवास: इस उपवास में सिर्फ मट्ठे का सेवन किया जाता है, कोशिश करे की दही गाय के दूध का घर में ही जमाये।

पूर्णोपवास: सिर्फ ताजे शुद्ध जल पर इस उपवास को किया जाता है और अन्य की अपेक्षा थोड़ा कठिन होता है। इस उपवास को करने से पहले प्राकृतिक चिकित्सक से जरुर सलाह लेवे या उसकी देखरेख में करे।

साप्ताहिक उपवास : सप्ताह में एक दिन पूरा उपवास रखना साप्ताहिक उपवास कहलाता है।

लघु उपवास : इस उपवास में शारीरिक क्षमता अनुसार 3 से लेकर 7 दिनों तक का पूर्णोपवास किया जाता है, इस उपवास को भी चिकित्सक की सलाह अथवा देखरेख में करे।

कड़ा (कठिन) उपवास : पूर्णोपवास के जैसे ही यह उपवास किया जाता है जिसमे समस्त प्रकार के नियम का पालन किया जाना चाहिए और इसे चिकित्सक की देखरेख में ही करे। यह उपवास विशेष रूप से असाध्य रोगों के इलाज के लिए किया जाता है।

टूट उपवास : 2 से 7 दिनों तक के लिए किया जाने वाले ये उपवास पूर्णोपवास के बाद किये जाते है और इसके बाद वापसी पूर्णोपवास किये जाते है। दो पूर्णोपवास के बिच में आने वाले इस टूट के कारन इस टूट उपवास कहते है।

दीर्घ उपवास : शरीर में मौजूद जमा गन्दगी को दूर करने के लिए ये कई दिनों तक लगातार किये जाने वाले पूर्णोपवास है जिनको लक्ष्य शरीर शुद्धी होता है। ये उपवास तब तक किये जाते है जब अच्छी तेज भूख लगने लग जाये जो की इस बात का संकेत होती है की शरीर शुद्धि हो चुकी है।

इन उपवास के अलावा धार्मिक रूप से भी अगर निश्चित तिथि तय करके भी उपवास किया जा सकता है जैसे एकादशी, प्रदोष या अन्य कोई दिन जिसमे आस्था के साथ उपवास किया जा सकता है। इससे मानसिक संतुष्टि, धार्मिक भावना और अच्छे विचार के साथ शारीरिक लाभ भी प्राप्त होगा।

उपवास में ध्यान रखने वाली बाते: (care in Fasting)

  • उपवास ने कुछ बाते ध्यान में रखे जैस जल का सेवन बराबर करे, योग प्राणायाम करे। उपवास में ये निम्न बाते ध्यान में रखे :
  • गर्मी के मौसम में जल का सेवन करते रहे।
  • थोड़े पानी में निम्बू मिलकर रख ले और थोडा थोडा करके सेवन करते रहे।
  • भारी व्यायाम ना करके योगासन, प्राणायाम करे।
  • मन को हमेशा शांत रखे।

उपवास कैसे तोड़े :

FASTING BENEFITS TYPES CARE : उपवास तोड़ने में भी सावधानी रखनी आवश्यक है। क्योंकि अगर अचानक भारी भोजन कर लिया जाए तो इससे पेट ख़राब होने की सम्भावना हो जाती है और कई बार बहुत ज्यादा गैस बनने लगती है। अत: उपवास तोड़ने के बाद एकदम हल्का और सुपाच्य भोजन लेवे वो भी कम मात्रा में जिस से शरीर को उस भोजन को पचाने में जोर नहीं पड़े। आप शुरुआत में हलके शाक सब्जी, फल से शुरुआत करे, नारियल पानी और फलो के जूस भी ले सकते है। फिर धीरे धीरे भोजन में अन्य खाद्य सामग्री लेना शुरू करे।  जरुरत पड़े तो चिकित्सक की सलाह में उपवास तोड़े।

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उपवास खोलने में सावधानी

निष्कर्ष:  इस प्रकार हमने जाना की उपवास करना हमारे शरीर के लिए कितना लाभदायक और हितकारी है। कठिन उपवास में चिकित्सक की सलाह लेकर ही शुरुआत करे और जब उपवास तोड़ना हो तो निश्चित रूप से चिकित्सक की सलाह ले। 

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