NAVRATRI AUR MAA DURGA KE NAU RUP | नवरात्री और नवरात्री में माँ दुर्गा के नौ रूप | जाने माँ के सभी स्वरूपों को

NAVRATRI AUR MAA DURGA KE NAU RUP : भारत देश में त्योहारों का माहौल शुरू हो चूका है. नवरात्री माँ दुर्गा की पूजा उपासना का त्यौहार है जिसमे नौ दिन और रात जगत जननी आदिशक्ति माँ भगवती की पूजा होती है. इन नौ दिनों में पूजा आराधना से माँ अपने भक्तों पर सभी प्रकार की कृपा करती है. मूल रूप से नवरात्री में माँ दुर्गा के आदिशक्ति स्वरुप प्रमुख नौ रूप की पूजा की जाती है. पुरे भारतवर्ष में इस त्यौहार को हर्षोल्लास से अपने अपने तरीको से मनाया जाता है. नवरात्री 15 अक्टूबर से शुरू होने वाले है , तो आइये जानते है VIRAL NEWS CLUB के आज के इस लेख में माँ दुर्गा के नवरात्री के बारे में :

NAVRATRI AUR MAA DURGA KE NAU RUP
NAVRATRI AUR MAA DURGA KE NAU RUP

 

वर्ष में नवरात्री कितने होते है ?

NAVRATRI AUR MAA DURGA KE NAU RUP : पुरे वर्ष में 4 नवरात्री होते है – पौष, चैत्र, आषाढ़ और अश्विन मास. इन में से दो पौष और आषाढ़ के नवरात्री गुप्त माने जाते है, जिन्हें पूजा पाठ गुप्त रूप से की जाती है, बाकी दो चैत्र (बसंत ऋतु) और आश्विन (शारद ऋतु ) के नवरात्री धूमधाम से मनाये जाते है. शरद ऋतू के नवरात्री को माँ दुर्गा की वार्षिक महापूजा होती है इसलिए इनका सबसे ज्यादा और विशेष महत्त्व है.

नवरात्री में माँ दुर्गा के किन स्वरुप की पूजा होती है ?

NAVRATRI AUR MAA DURGA KE NAU RUP :

नवरात्री के नौ दिनों में माँ पार्वती, माँ लक्ष्मी और माँ सरस्वती के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है.

  • पहले दुसरे और तीसरे दिन माँ पार्वती के स्वरुप शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा की पूजा की जाती है.
  • चौथे, पांचवे और छट्ठे दिन माँ लक्ष्मी के कुष्मांडा, स्कन्द माता, कात्यायिनी स्वरुप को पूजा जाता है.
  • सातवें, आठवें और नौवें दिन माँ सरस्वती कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.

इस प्रकार माँ के इन स्वरुप में सभी नौ शक्तियों की पूजा आराधना होती है.

माँ दुर्गा के नौ स्वरुप:

NAVRATRI AUR MAA DURGA KE NAU RUP :

1.शैलपुत्री : (Mata Shailputri)

माता दुर्गा का प्रथम स्वरुप शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है.  माँ शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री थी और माँ अपने दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाये हाथ में कमल पुष्प लिए वृषभ पर आरूढ़ है. माँ शैलपुत्री को वन्य जीवों का रक्षक माना गया है. इनकी पूजा से धन धन्य, सुख साधन और सम्पन्नता प्राप्त होती है.

विशेष: साधक नवरात्री के इस पहले दिन की उपासना में मन को ‘मूलाधार’ चक्र में स्थित करते है और यही से साधना की शुरुआत होती है.

2. ब्रह्मचारिणी : (Mata Brahmcharini)

NAVRATRI AUR MAA DURGA KE NAU RUP : माँ दुर्गा के द्वितीय स्वरुप का नाम ब्रह्मचारिणी है यानी तप का आचरण करने वाली. माँ का ये स्वरुप तेजोमय और दिव्य है जो की समस्त विद्याओं का ज्ञाता माना जाता है. माता ब्रह्मचारिणी श्वेत वस्त्र धारण किये हुए है उनके दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमण्डलु रहता है, तप आचरण से माँ का स्वरुप ज्योतिर्मय होता है. इस स्वरुप की पूजा करने से भक्तों को माँ ब्रह्मचारिणी अनंत फल प्रदान करती है. उनकी उपासना से जहाँ संयमता प्राप्त होती है वही तप, वैराग्य और सदाचार भावना बढती है, जिससे उपासक को जीवन के हर परिदृश्य में सफलता प्राप्त होती है.

विशेष: साधक नवरात्री के दुसरे दिन साधक का मन ‘स्वाधिष्ठान’ चक्र में स्थापित होता है, जिससे उसे माँ ब्रह्मचारिणी की अनंत कृपा और भक्ति प्राप्त करता है.

3. चन्द्रघन्टा : (Maa Chandrghanta)

NAVRATRI AUR MAA DURGA KE NAU RUP : माँ दुर्गा के तीसरे दिन ‘चन्द्रघंटा’ स्वरुप की पूजा की जाती है, माँ के मस्तक पर अर्धचन्द्र शोभित होता है जिसके कारण इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है.  माँ का रंग स्वर्ण के जैसा चमकीला होता है जिससे उनका अद्भुत तेज दिखाई देता है.  माँ चंद्रघंटा के इस शक्तिस्वरूप के तीन नेत्र और दस भुजाएँ होती है जिनमे खडग, गदा, और अस्त्र शस्त्र होते है. माँ युद्ध के लिए तत्पर अपने वाहन सिंह पर विराजमान होती है. इनके घंटे की प्रचंड ध्वनि से ही असुर, राक्षस भयभीत हो जाते है.

विशेष : साधक का मन ‘मणिपूर’ चक्र में प्रविष्ट होता है और साधक को समस्त पापो से मुक्ति मिलती है. उसके साहस में अत्यंत वृद्धि होती है. इनकी उपासना से साधक के स्वर सौम्य और अलौकिक होते है जिससे वह जहाँ भी जाते है लोगो को उनसे अलौकिकता का अनुभव होता है.

NAVRATRI AUR MAA DURGA KE NAU RUP maa chandraghanta
NAVRATRI AUR MAA DURGA KE NAU RUP maa chandraghanta

 

4. कुष्मांडा: (Maa Kushmanda)

NAVRATRI AUR MAA DURGA KE NAU RUP : नवरात्री के चौथे दिन कुष्मांडा स्वरुप की पूजा की जाती है. जब सृष्टि अस्तित्व में नहीं थी और चारो और घोर अन्धकार था तब माँ कुष्मांडा ने अपनी मंद हंसी द्वारा ब्रहमांड को रचा था. माँ का ये स्वरुप जीवन को शक्ति दाता माना जाता है क्योंकि सूरज मंडल के भीतरी लोक में निवास करती है. इनके समान तेज किसी भी देवी देवता में नहीं है. कुष्मांडा माता का वाहन सिंह है, और इनकी आठ भुजाएँ है जिसमे एक साथ में जपमाला और बाकी सात हाथो में कमण्डलु, कमल पुष्प, रित कलश, चक्र, गदा इत्यादि है. माँ को कुम्हड़े की बलि अत्यंत प्रिय है.

विशेष: नवरात्री के चौथे दिन साधक का मन ‘अनाहत’ चक्र में अवस्थित होता है. साधक को इस दिन से मन को अत्यन्त पवित्र और शांत भाव में रखना चाहिए. इनकी कृपा से रोग, शोक नष्ट होकर साधक दीर्घायु, यश, बल प्राप्त करता है.

Maa Kushmanda ke mantra aur pujha
Maa Kushmanda ke mantra aur pujha

 

5. स्कन्दमाता: (Maa Skandmata)

नवरात्री के पांचवे दिन माँ के स्कन्दमाता स्वरुप की पूजा उपासना की जाती है. कार्तिकेय यानी स्कन्द की माता होने से इनका नाम स्कंदमाता पड़ा. इस कल्याणकारी स्वरुप में भगवान कार्तिकेय माता की गोद में बैठे होते है, माँ के चार भुजाये होती है और कमल आसन पर विराजमान होती है.

विशेष: साधक का मन ‘विशुद्ध’ चक्र में अवस्थित होता है. साधक को अपने ध्यान पर परम सावधानी रखनी होती है. माता की कृपा से साधक को अलौकिक तेज और कांति प्राप्त होती है.

6. कात्यायनी: (Mata Katyayni)

नवरात्री के छट्ठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है. महर्षि कात्यायन ने इनकी पूजा सर्वप्रथम की तभी माता कात्यायनी नाम पड़ा. इनका स्वरुप अत्यंत भव्य और दिव्य होता है. माँ के चार भुजाये होती है जिसमे एक भुजा वर मुद्रा में, दूसरी भुजा अभय मुद्रा में, तीसरी भुजा कमल पुष्प और चौथी भुजा में तलवार सुशोभित होती है.

विशेष: साधक का मन अत्यंत महत्वपूर्ण ‘आज्ञा’ चक्र में स्थित होता है. साधक माँ के चरणों में सर्वस्व अर्पित कर देता है. साधक को सभी चारो फल अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष प्राप्त होते है. उसके सभी रोग, शोक समाप्त हो जाते है.

Maa Kartyayini Puja aur mantra
Maa Kartyayini Puja aur mantra

7. कालरात्रि: (Maa Kalratri)

NAVRATRI AUR MAA DURGA KE NAU RUP : नवरात्री के सातवें दिन माता के  कालरात्रि स्वरुप का पूजन किया जाता है.  माता के इस स्वरुप में शरीर का रंग एकदम काला, और बाल बिखरे हुए होते है.  माँ अपने वहां गर्दभ पर आसीन है, माँ के तीन नेत्र है और गले में एकदम चमकीली माला धारण होती है. उनके हाथ में शत्रुओ को नाश करने वाले खडग,अस्त्र है,  माँ के ये स्वरुप अत्यंत भयानक परन्तु शुभ फल देने वाला होता है. भक्तों के लिए माता कालरात्रि अत्यंत फलदायी होती है.

विशेष: साधक का मन ‘सहस्रार ’ चक्र में स्थित होता है. माँ कालरात्रि की कृपा समस्त सिद्धियों को प्राप्त होता है. साधक को किसी भी प्रकार कोई भय नहीं होता. वह सभी भय से मुक्त हो जाता है.

maa Kalratri Mantra Puja
maa Kalratri Mantra Puja

8. महागौरी: (Maa Mahagauri)

नवरात्री के आठवे दिन माँ की आठवीं शक्ति महागौरी की पूजा की जाती है. माँ महागौरी नंदी नाम के वृषभ पर आरूढ़ है, उनकी चार भुजाएँ है जो की अभी मुद्रा, वर मुद्रा और डमरू तथा त्रिशूल धारण किये हुए है. माँ महागौरी अत्यंत शांत मुद्रा में आसीन है. इनकी पूजा से अमोघ शक्ति प्राप्त होती है, सभी पाप नष्ट हो जाते है.

विशेष: साधक का मन ‘सोमचक्र’ जागृत होता है. जिससे उसके सभी पाप समाप्त हो जाते है और सुख शांति, धन वैभव प्राप्त होते है.

Maa Mahagauri mantra puja
Maa Mahagauri mantra puja

9. सिद्धिदात्री: (Maa Siddhidatri)

नवरात्री के नौवें और अंतिम दिन माँ के सिद्धिदात्री स्वरुप की आराधना की जाती है. माँ का ये स्वरुप नाम के अनुरूप सभी सिद्धियाँ प्रदान करने वाला होता है. कमल पुष्प पर आसीन माता चार भुजाओ वाली है और चक्र, गदा, शंख और कमल पुष्प उनके हाथो में सुशोभित है.

विशेष: साधक का ‘निर्वाण’ चक्र जागृत होता है. सिद्धिदात्री माता की कृपा से साधक को आठ सिद्धियाँ- अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व प्राप्त होती है. माँ की कृपा से साधक को लौकिक और परलौकिक सभी कामना प्राप्त होती है.

इस प्रकार हमने माँ दुर्गा के नवरात्री के नौ दिनों में पूजे जाने वाले शक्ति स्वरुप को जाना (NAVRATRI AUR MAA DURGA KE NAU RUP). नवरात्री में पूजन करने से विशेष फल प्राप्ति होती है, पर मनुष्य को चाहिए की वह वर्षभर माँ के इन स्वरुप की पूजा अर्चना करे. माँ की पूजा आराधना और पथ से धन, धान्य, सुख-समृधि के साथ परमशान्ति प्राप्त होती है.

QUE: कुल कितने नवरात्र होते हैं?

ANS: पुरे वर्ष में 4 नवरात्री होते है – पौष, चैत्र, आषाढ़ और अश्विन मास

QUE: नवरात्री में माँ दुर्गा के किन स्वरुप की पूजा होती है ?

ANS: नवरात्री के नौ दिनों में माँ पार्वती, माँ लक्ष्मी और माँ सरस्वती के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है.

QUE: माँ दुर्गा के नौ स्वरुप कौन कौन से है ?

ANS: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कन्द माता, कात्यायिनी. कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री.

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